महज दो रुपये के लिए नाबालिग की हत्या, हत्यारा भी नाबालिग
इसे वक्त का तकाजा कहें या समाज में बढ़ती अपकृति का प्रभाव, जिसने नाबालिगों के बीच गुस्सा पनप रहा है। सामान्य अनुशासनहीनता से आगे यह गुस्सा यदि हत्या जैसे अंजाम तक पहुंच जाए तो समाज के लिए चिंता का सबब है।