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काश! आज जेपी जिंदा होते…, किसान आज सड़कों पर असहाय नहीं होते

जेपी का मूल्यांकन उनके वारिसों के उत्तरावर्ती योगदान के साथ किया जाए, तो जेपी की वैचारिकी का हश्र घोर निराशा का अहसास ही कराता है। जिस सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक क्रांति के लिए जेपी ने आह्वान किया था, वह आज भारत में…