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नगर पंचायत : न विज्ञापन, न आवेदन, चुपके से हो गयी कर्मियों की नियुक्ति!

नोखा नगर पंचायत में आठ कर्मचारियों की मानदेय पर बहाली का मामला गरमाया

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कर्मियों के नियोजन व सेवा स्थायी के मामले में बढ़ी आरटीआई एक्टिविस्टों की सक्रियता

रोहतास से बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट

सासाराम (Voice4bihar news)। रोहतास जिले की नोखा नगर पंचायत में दैनिक मजदूरी व संविदा पर बहाल कर्मियों की सेवा स्थायी किये जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आरटीआई से निकलकर आई जानकारी के मुताबिक इन कर्मचारियों के नियोजन से लेकर सेवा स्थायी किये जाने तक की प्रक्रिया में न तो नियमों का पालन किया गया और न आला अधिकारियों के पत्र को तवज्जो दी गयी। नियोजन के संबंध में अखबार में न कोई सूचना प्रकाशित की गयी, न कोई आवेदन प्राप्त किया गया और न ही तुलनात्मक विवरणी तैयार की गयी।

मामला सियासी गलियारे सहित प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना

बताया जाता है कि नोखा नगर पंचायत में दैनिक पारिश्रमिक तथा अनुबंध पर बहाल कर्मियों की सेवा वर्ष 2010 में स्थायी की गयी थी। आरटीआई एक्टिविस्ट की बढ़ी सक्रियता से यह मामला सियासी गलियारे सहित प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नगर पार्षदों द्वारा आठ लोगों को संविदा पर कार्य करने के लिए चयनित किया जाने की प्रक्रिया नगर पालिका अधिनियम के तहत है या नहीं? यह जांच का विषय बन चुका है।

नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से नोखा नगर परिषद को जारी पत्र।
नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से नोखा नगर परिषद को जारी पत्र।

नोखा नगर पंचायत में 9 पदों पर बहाली का आदेश लेकिन 8 की हुई नियुक्ति

दरअसल नगर विकास विभाग पटना द्वारा 20 अक्टूबर 1981 को जारी पत्रांक 4545 के आलोक में नोखा नगर पंचायत को कुल 9 पदों का सृजन प्राप्त हुआ था। सुप्त सृजित पदों के अंतर्गत 10 मार्च 2004 को नोखा नगर पंचायत के पार्षदों की आयोजित सामान्य बैठक के प्रस्ताव संख्या 9 के अनुसार 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त किया गया था। ऐसे में 9 कर्मचारियों के पद सृजन के बावजूद सिर्फ 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त करते हुए 1 पद को रिक्त रखना सवालों के घेरे में है।

नगर विकास एवं आवास विभाग ने दी थी 9 पदों पर बहाली की मंजूरी

इसके साथ ही सेवा पुस्तिका पर दर्ज विवरण के अनुसार मानदेय पर नियुक्त किए गए कर्मियों की सेवा नियमित करने के लिए 21 सितंबर 2006 को प्रस्ताव संख्या 9 के तहत सरकार से अनुरोध किया गया, जिसके आलोक में नगर विकास एवं आवास विभाग के उप सचिव सह निदेशक ने 23 नवंबर 2008 को जारी पत्र 5670 के द्वारा 9 पदों की स्वीकृति के साथ अवधि विस्तार दिया। इसके बाद सरकार के संयुक्त सचिव प्रेमचंद चौधरी द्वारा 11 दिसंबर 2008 को जारी पत्रांक 5945 के आलोक में नगर पंचायत नोखा में कार्यरत नौ कर्मियों के वेतन की स्वीकृति प्रदान की गई है।

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संयुक्त सचिव के आदेश को भी कर दिया दरकिनार

कर्मियों के वेतन भुगतान हेतु आवंटित राशि के संबंध में जारी पत्र संख्या 5945 का हवाला देकर संविदा पर कार्यरत कर्मियों का मानदेय भुगतान कर दिया गया, जबकि सरकार के संयुक्त सचिव प्रेमचंद चौधरी ने पत्रांक 5945 की कंडिका 8 में स्पष्ट रूप से निर्देश जारी किया है कि अनियमित रूप से नियुक्त कर्मियों सहित दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को वेतन भुगतान नहीं किया जाए। ऐसे में संविदा पर रखे गए कर्मियों को वेतन दिए जाने का मामला भी पूरी तरह से संयुक्त सचिव के आदेश को दरकिनार करते हुए किया गया असंवैधानिक कृत्य प्रतीत होता है।

किसकी जेब में गए अज्ञात कर्मचारी का वेतन!

मामले पर गौर करें तो जब 10 मार्च 2006 को आयोजित सामान्य बैठक में मात्र 8 कर्मचारियों को मानदेय पर नियुक्त किया गया तो 9 कर्मियों के वेतन की स्वीकृति प्रदान किया जाना सवालों के घेरे में है। वेतन स्वीकृति के पश्चात भुगतान करने की संपुष्टि पार्षदों ने सामान्य बैठक में 29 दिसंबर 2008 को प्रस्ताव संख्या 11 के तहत की है। इसके आलोक में नोखा नगर पंचायत के कुछ कर्मियों को वेतनमान का भुगतान किया गया है।

सेवा स्थायी किये जाने के संदर्भ की चर्चा सर्विस बुक में नहीं

ताज्जुब यह कि इन कर्मियों के सर्विस बुक पर दर्ज विवरणी में संविदा कर्मियों की सेवा स्थाई किए जाने के किसी निर्णय की चर्चा नहीं है और ना ही संविदा कर्मियों के सेवा स्थाई करने संबंधी विभाग द्वारा जारी किसी पत्र का हवाला दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि संविदा कर्मियों को स्थाई कर्मियों का लाभ अगर दिया जा रहा है तो किस आधार पर दिया जा रहा है। यह सियासी गलियारे से लेकर प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट भी सक्रिय हैं।

आरटीआई से मांगी गयी सूचनाओं के जवाब में नगर पंचायत का अजीब तर्क।

नियुक्ति पत्र व सरकारी आदेश की छायाप्रति देने से इनकार!

इस कड़ी में आरटीआई एक्टिविस्ट विभा सिंह द्वारा मांगी गई सूचना के आलोक में 17 मार्च 2021 को नोखा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने जो सूचना दी है, उसमें कहा गया है कि टैक्स दारोगा सत्यनारायण प्रसाद एवं प्रधान लिपिक संजय कुमार चौधरी की सेवा स्थाई करने का सरकारी आदेश और दोनों कर्मियों के नियुक्ति प्रमाण पत्र की छाया प्रति उपलब्ध नहीं है। इसकी वजह यह बताई गयी है कि कार्यालय स्थानांतरण के क्रम में संचिका के पथभ्रष्ट होने के कारण पत्र की प्रति उपलब्ध नहीं है। संचिका पथभ्रष्ट होने के साथ ही कर्मियों की सेवा स्थाई करने संबंधित पत्र कार्यालय में उपलब्ध नहीं होना यह साबित करता है कि दाल में काला है।

विवाद क्या रंग लाता है, देखना होगा दिलचस्प

एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट मुकेश कुमार सिंह द्वारा मांगी गई सूचना के आलोक में नोखा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने वर्ष 2017 में दी गई सूचना की कंडिका दो में स्पष्ट रूप से जानकारी दी गई है कि 20 अक्टूबर 1986 को जारी विभागीय पत्रांक 4545 के द्वारा सृजित पदों के विरुद्ध दैनिक पारिश्रमिक तथा अनुबंध के आधार पर पूर्व से कार्य करते आ रहे थे। अतः अखबार में न कोई सूचना प्रकाशित की गयी और न कोई आवेदन प्राप्त किया गया और न तुलनात्मक विवरणी तैयार की गयी। ऐसे में देखना है कि कर्मियों की दैनिक पारिश्रमिक से लेकर सेवा स्थाई किए जाने तक के मामले को लेकर छिड़ा विवाद भविष्य में क्या रंग लाता है?

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