विंध्यवासिनी देवी के कारण बिहार के लोक गायन को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

जयंती पर याद की गईं लोकगायिका विंध्यवासिनी देवी

सुप्रसिद्ध गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने दी विंध्यवासिनी देवी को संगीतमय श्रद्धांजलि

सांस्कृतिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार की ओर से कार्यक्रम आयोजित 

सोनपुर (voice4bihar desk)। रेडियो के जमाने में लोकगीतों के कार्यक्रम में सबसे सशक्त आवाज के रुप में पहचान बनाने वाली लोकगायिका विंध्यवासिनी देवी को आज उनकी जयंती पर संगीतमय श्रद्धांजलि दी गयी। प्रसिद्ध लोक गायिका विंध्यवासिनी देवी की पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में श्रद्धा-शब्द अर्पित किये गए। सांस्कृतिक संस्था नवगीतिका लोक रसधार की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने लोक संस्कृति और महिलाओं की उन्नति में विंध्यवासिनी देवी के योगदान को भी याद किया ।

इस दौरान प्रसिद्ध लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि विंध्यवासिनी देवी ने लोक गीत गायन के क्षेत्र में उस समय नाम कमाया जब बिहार में महिलाओं के लिए बहुत कम अवसर उपलब्ध थे और गाने-बजाने को लेकर समाज में अनेक प्रकार की भ्रांतियां मौजूद थी । ऐसे में लोक गायन को अपनाकर वह न सिर्फ खुद आगे बढ़ीं बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी रास्ता बनाया । अवकाश प्राप्त प्रोफेसर डॉ प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा कि जब रेडियो पर विंध्यवासिनी जी का कार्यक्रम होता था तो लोग ठहर कर उनका गायन सुनने लग जाते । इनके गायन के कारण ही आकाशवाणी के चौपाल कार्यक्रम को काफी ख्याति मिली ।

चिंतक और लेखक डॉ. ध्रुव कुमार ने कहा कि पटना में रेडियो की शुरुआत होने के साथ ही विंध्यवासिनी देवी जी उससे जुड़ गई थी । बिहार में लोक गायन के क्षेत्र में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता । लेखक-पत्रकार गणेश कुमार मेहता ने कहा कि उनके जीवन में सादगी और सहजता रही । उन्होंने हमेशा नए कलाकारों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया । पद्मश्री, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, अहिल्याबाई पुरस्कार, भिखारी ठाकुर सम्मान और बिहार रत्न सम्मान सहित सैकड़ों सम्मान से विभूषित होने के बावजूद विंध्यवासिनी देवी जी ने कभी भी अपने को आम लोगों से दूर नहीं किया।

राष्ट्रीय युवा विकास परिषद के अध्यक्ष किसलय किशोर ने कहा कि विंध्यवासिनी देवी का जन्म मुजफ्फरपुर में हुआ लेकिन उनका ससुराल सोनपुर अनुमंडल के दिघवारा में था। बाद में वह पटना में रहने लगी और वहीं रहकर उन्होंने संगीत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद् के अध्यक्ष कलाविद वीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि सुर कोकिला विंध्यवासिनी देवी जी अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके रचित और गाए गीत अभी उनके होने का एहसास कराते रहते हैं।

उन्होंने भोजपुरी मगही और मैथिली में लोकगीत गाकर बिहार के लोकगीतों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई । लोक गायन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें मॉरीशस सरकार की ओर से सम्मानित भी किया गया। लोक रामायण की प्रस्तुति भी शानदार और यादगार है।

कार्यक्रम में लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने विंध्यवासिनी देवी के कई गीतों को गाकर सुनाया जिसमें धन कटनी के बहार अगहनवा में, बोझा बाँधल बाटे धान, मन गजत किसान,सावन के बूंदों में आया रे बन्ना,कजरी नेवती लवली बदरी त बदरी अईली नगरी, करिया चुनरिया पहिर ले बदरिया, त जल से भरवले बाड़ी गगरी, त बदरी नेवती लवली आदि शामिल है । भोला कुमार ने नाल पर और बंटी कुमार ने हारमोनियम पर लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत का साथ दिया । कार्यक्रम में लोक गायक गोविंद बल्लभ, सुमित कुमार सिंह, ओम प्रकाश, शिवांगी, नमिता कुमार सहित अनेक लोग उपस्थित रहे ।

Nitu Kumari NavgeetVindhyvasini devi