कोरोना का टीका लगवाने वाले ही लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

टीकाकरण की बाध्यता सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज एक्ट में होगा संशोधन!

पंचायती राज एक्ट में एक माह में दूसरी बार संशोधन की तैयारी कर रही राज्य सरकार

पिछले दिनों परामर्श समितियों को दी गयी थी पंचायती राज संस्थाएं चलाने की जिम्मेदारी

पटना (voice4bihar news)। पंचायत चुनाव में इस बार वही लोग भाग ले सकेंगे, जो कोविड-19 का वैक्सीन लगवा चुके हैं। राज्य में आधे से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों ने कोरोना का टीका नहीं लिया है, इस रिपोर्ट के आने के बाद राज्य सरकार ने सख्त तेवर अपनाने का मूड बना लिया है। इसके लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी हो रही है। बिहार में शायद यह पहला मौका होगा जब एक माह में दूसरी बार पंचायती राज एक्ट में संशोधन की बात कही जा रही है। पहला संशोधन पंचायती राज संस्थाओं में परामर्श समितियों के गठन को लेकर जून माह की दूसरी तारीख को हुआ था।

टीकाकरण के प्रति पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता

दरअसल कोरोना की तीसरी लहर रोकने के लिए वैक्सीन लगवाने की अनिवार्यता के बावजूद भारी संख्या में लोगों ने वैक्सीनेशन से खुद को अलग किया है। इनमें पंचायत प्रतिनिधि भी शामिल हैं। पिछले दिनों एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि पटना जिले में 71 प्रतिशत पंचायत प्रतिनिधियों ने अब तक वैक्सीन नहीं लिया है। ऐसे लोगों पर दबाव बनाने के लिए राज्य सरकार यह कदम उठाने जा रही है। माना जा रहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों को नॉमिनेशन के वक्त इस बारे में शपथ पत्र या टीकाकरण का सर्टिफिकेट जमा करना पड़ सकता है।

सरकार के निर्णय के आलोक में पंचायत चुनाव संबंधी गाइडलाइन जारी करेगा आयोग

वैसे तो इस बात को लेकर काफी दिनों से कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब इसे अमली जामा पहनाने की कवायद हो रही है। सरकार इसके लिए तैयार थी लेकिन चुनाव आयोग के संभावित कदम को लेकर संशय बरकार था। अब जबकि सरकार ने टीकाकरण की अनिवार्यता का निर्णय ले लिया है, तो इसके लिए एक्ट में संशोधन भी किया जाना जरूरी हो गया है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कोरोना का टीका लगवाना अनिवार्य होगा। सरकार के इस निर्णय को ध्यान में रखकर ही निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव संबंधी गाइडलाइन जारी करेगा।

परामर्श समितियों को दिया गया है पंचायती राज संस्थाओं का कार्यभार

गौरतलब है कि पिछले 2 जून को ही सरकार ने अध्यादेश जारी किया था, जिसमें व्यवस्था दी गयी कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव नहीं होने की स्थिति में पंचायती राज संस्थाओं का कार्यभार परामर्श समितियों के जिम्मे होगा। इसके तहत ही राज्य के आठ हजार से अधिक निवर्तमान मुखिया की मुखियागिरि बरकरार है। इस संशोधन के साथ ही बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में अब कभी भी यह स्थिति नहीं आयेगी जब लोग कहें कि अब आगे क्या होगा।

पिछली बार अपने घर में शौचालय बनवाने की रखी गयी थी शर्त

आपको याद होगा कि पिछले पंचायत चुनाव के वक्त भी सरकार ने ऐसी ही बाध्यता रखी थी। उस समय हर घर शौचालय अभियान चल रहा था। उस वक्त कहा गया था कि जिनके घर में शौचालय नहीं होगा, वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसका सकारात्मक असर हुआ और शौचालय बनाने के अभियान में तेजी आई। हालांकि चुनाव के ऐन पहले सरकार ने यह निर्णय वापस ले लिया था। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि टीकाकरण की बाध्यता के लिए एक्ट में कब तक संशोधन होगा और इसकी तासीर क्या होगी।

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