पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए चौतरफा दबाव, … क्या करेगी सरकार?

राजद व भाजपा के साथ अब वीआईपी व हम के सुर भी मिले

15 जून को को खत्म हो रहा पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल

प्रशासक नियुक्त करने के लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी

पटना (voice4bihar news)। राज्य के पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगामी 15 जून को खत्म होने के बाद पंचायतों के संचालन को लेकर दुविधा की स्थिति पैदा होती दिख रही है। पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल आगे बढ़ाने के लिए सरकार पर चौतरफा दबाव बनना शुरू हो गया है। प्रमुख विपक्षी दल राजद के बाद अब सरकार में शामिल भाजपा, हम व वीआईपी के सुर भी मिलते नजर आ रहे हैं।

बता दें कि एक तरफ जहां राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को चलाने के लिए नोडेल अधिकारी नियुक्त करने का फरमान सुना दिया है वहीं विपक्ष सहित सत्ता में शामिल घटक दलों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है। राजद ने पहले ही मांग की है कि पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल आगे बढ़ाया जाए। इसके बाद भाजपा ने भी ऐसी ही मांग दुहरा दी। शनिवार को इसी मसले पर वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी के साथ हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी की मुलाकात ने सियासत गरमा दी है।

मांझी व सहनी की मुलाकात को लेकर लग रहे कयास

राज्य सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मुकेश सहनी से मुलाकात का फोटो शेयर करते हुए जीतन राम मांझी ने ट्विट किया कि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को आगे बढ़ाने समेत कई मसलों पर विमर्श हुआ। हालांकि इन दोनों नेताओं की बातचीत किस नतीजे पर पहुंची, यह पता नहीं चल पाया है, लेकिन जीतन राम मांझी की ओर से इस मुद्दे को उठाये जाने के बाद सरकार पर दबाव बनना लाजिमी है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने पंचायतों के संचालन को लेकर तमाम विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है।

कोरोना के मामले कम होते ही पंचायत चुनाव पर मंथन शुरू

दूसरी ओर कयास लगाए जा रहे हैं कि 15 जून तक यदि कोरोना के मामले कम हुए और राज्य में लॉकडाउन में ढील देने जैसे हालात बने तो सरकार जल्द ही पंचायत चुनाव करा सकती है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो चुनाव प्रक्रिया को लेकर फिर से मंथन शुरू हो गया है। हालांकि चुनाव कराये जाने की बजाय दूसरे विकल्पों पर सरकार का ज्यादा जोर है। क्योंकि जल्द ही राज्य में मानसून सक्रिय होने के कारण चुनाव कराना संभव नहीं होगा। इस दौरान राज्य के कई जिले बाढ़ में डूबे होते हैं और पूरा प्रशासनिक अमला राहत व बचाव कार्य में जुटा होता है।

कौन सा विकल्प चुनेगी सरकार, यह अभी तय नहीं

सवाल यह है कि अगर पंचायत चुनाव अभी नहीं हुए तो सरकार के पास कौन-कौन से विकल्प होंगे? पहला विकल्प तो यह है कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगे बढ़ाया जाए, लेकिन पंचायती राज कानून में ऐसी व्यवस्था नहीं है। जिस प्रकार विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने पर सदन भंग हो जाता है और राष्ट्रपति शासन लगाने की व्यवस्था संविधान में है, उसी प्रकार पंचायत प्रतिनिधियों के कार्य विस्तार का भी प्रावधान नहीं है।

प्रशासक नियुक्त करने का रास्ता सबसे उपयुक्त

पहला विकल्प खारिज होने के बाद अब सरकार दूसरे विकल्प को अपना सकती है। जैसा कि राज्य में पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यभार संभालने के लिए प्रशासन नियुक्त करने का ऐलान सरकार ने पहले ही कर दिया है। अब इसे लागू करने के लिए पंचायती राज एक्ट में संशोधन की तैयारी चल रही है। संभव है इसके लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है, जो छह माह तक प्रभावी होगा। इसके तहत डीडीसी, बीडीओ व पंचायत सचिवों के जिमे पंचायती संस्थाओं के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि इन प्रशासकों को आर्थिक शक्तियां कितनी दी जाएंगी यह सरकार को तय करना है।

यह भी पढ़ें : मांझी ने कहा- तस्वीर लगाने का इतना ही शौक है तो डेथ सर्टिफिकेट पर भी लगाएं

Bihar panchayat chunav 2021Pressure to extend the tenure of the panchayatपंचायत चुनाव बिहारबिहार पंचायत चुनाव