जेपी विश्वविद्यालय : कुलपति ने गड़बड़ी मानने से किया इनकार, कुलसचिव ने कहा- सिलेबस की गड़बड़ियां होंगी दूर

सरकार सख्त हुई तो जेपी विश्वविद्यालय ने अपनी भूल स्वीकार की, सुधार करने की मंशा जताई

कुलपति ने सरकार को भेजा जवाब, कहा- सिलेबस से किसी महापुरुष को हटाया नहीं गया

दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस व ज्योतिबा फुले के विचारों को सिलेबस में मिली जगह

पटना/छपरा (voice4bihar news)। जेपी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में असंगत बदलाव को लेकर शुरू हुआ घमासान अब थमता नजर आ रहा है। कल तक अपनी बात पर अड़े विश्वविद्यालय प्रशासन के तेवर आज नर्म पड़ गए। सरकार को भेजे गए जवाब में जहां कुलपति ने जहां लोकनायक जयप्रकाश नारायण के विचारों को जेपी विश्वविद्यालय के स्नातकोतर के सिलेबस से हटाने के मामले को कुलपति ने झूठा करार दिया था। वहीं आमने-सामने हुई मीटिंग में कुलसचिव ने इसे विधि-सम्मत तरीके से दूर करने की बात कही है।

इस मसले को लेकर दिन भर में हुए तमाम घटनाक्रमों को देखें तो सबसे पहले जेपी विश्वविद्यालय ने सरकार की ओर पूछे गये सवालों का सपाट तरीके से जवाब दिया, लेकिन उतनी ही जल्दबाजी में सचिवालय के आला अफसरों ने इसे असंतोषजनक बता दिया। फिर कुलपति व कुलसचिव को सचिवालय में तलब कर लिया गया। बाद में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जेपी लोहिया के विचारों को फिर से सिलेबस में शामिल करने का आश्वासन दिया। हालांकि इस पर ठोस पहल तब होगी, जब राज्यपाल फागू चौहान पटना लौटेंगे।

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कुलपति ने कहा- पाठ्यक्रम में अब भी शामिल हैं जेपी के विचार व दर्शन

सिलेबस पर विवाद बढ़ा तो जेपी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. फारुक अली ने पाठ्यक्रम से जेपी के विचारों का हटाने आरोपों को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि बदलाव सिर्फ इतना ही है कि जेपी के विचारों की पढ़ाई फर्स्ट सेमेस्टर के बदले फोर्थ सेमेस्टर के 14 में पेपर में कराई जाएगी। इसमें हटाने की बात कहां है? यह दावा उन्होंने राज्य सरकार को भेजे गए जवाब में किया है।

कुलपति ने जेपी के साथ ही राम मनोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजा राम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक, एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार भी सिलेबस से बाहर करने के मामले को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले का नाम शामिल किया गया है न कि किसी महापुरुष को हटाया गया है।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जताया था कड़ा विरोध

उल्लेखनीय है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। मकसद था- विभिन्न विषयों में उच्च शिक्षा देने के साथ ही लोकनायक के विचार व दर्शन से छात्रों को अवगत कराना। ऐसे में जिस यूनिवर्सिटी का नाम ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर रखा गया हो, उसके सिलेबस से उनके ही विचारों को चैप्टर से हटाना बड़ा मुद्दा बन गया है। मामला सुर्खियों में आया तो राजद अध्यक्ष लालू यादव ने कड़े शब्दों में ट्विट कर इसे ‘बर्दाश्त से बाहर’ बता दिया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित अन्य नेताओं ने भी सरकार को घेरने की कोशिश की। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को एक्शन लेने पर विवश होना पड़ा।

विवाद बढ़ा तो जेपी विश्वविद्यालय ने गलती स्वीकार की

कुलपति के जवाब पर उच्च शिक्षा निदेशक ने असंतोष जाहिर किया और सचिवालय में आकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। यहां आकर जेपी विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने शिक्षा विभाग के अफसरों, शिक्षा मंत्री व जेपीयू के कुलपति के सामने यह बात स्वीकार की है कि सिलेबस में जो भी गड़बड़ियां हुई हैं, उन्हें विधि सम्मत तरीके से दूर कर लिया जाएगा। जेपीयू के कुलसचिव डॉ आरपी बबलू ने मीडियाकर्मियों को बताया कि शिक्षा विभाग एवं शिक्षा मंत्री के सामने जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी भूल को स्वीकारते हुए यह निर्णय लिया है।

Jaiprakash University admits its mistakeजयप्रकाश नारायणजेपी यूनिवर्सिटी छपराजेपी व लोहिया के विचार