मंत्री अशोक चौधरी को लगी शिक्षकों और शिक्षक अभ्यथिर्यों की आह

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर, जा सकता है मंत्री पद

Voice4bihar.com desk  बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को शिक्षकों और शिक्षक अभ्यथिर्यों की आह लग गयी है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने उनके मंत्री पद पर ग्रहण लगा दिया है। सुप्रीम कार्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि मनोनीत को मंत्री पद नहीं दे सकते। इसके लिए विधानसभा अथवा विधान परिषद में चुनाव जीत कर आना होगा।

बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल अशोक चौधरी वर्तमान में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उन्हें उम्मीद थी कि राज्यपाल कोटे से मनोनीत होने वाले 12 सदस्यों में उनका भी नाम होगा और उनका मंत्री पद बरकरार रह जायेगा। पर शुक्रवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

कर्नाटक के बीजेपी नेता एएच विश्वनाथ के मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला

कर्नाटक के भाजपा नेता एएच विश्वनाथ ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। विश्वनाथ पूर्व में कांग्रेस पार्टी के विधायक थे। बाद में अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा देकर वे भाजपा में चले गये। इससे कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का पतन हो गये और वहां येदुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष ने उन्हें अयोग्य करार दिया था। इसके खिलाफ वे कर्नाटक हाईकोर्ट गये थे। हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया तो वे सुप्रीम कोर्ट चले गये।

सुप्रीम कोर्ट ने न केवल उन्हें बल्कि उन जैसे तमाम उन लोगों के मंसूबे पर पानी फेर दिया जो पिछले दरवाजे से सदन में पहुंचते थे और मंत्री बन कर मौज करते थे। इनमें अधिकतर वे लोग होते थे जिन्हें जनता ठुकरा चुकी होती थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, अगर आप एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते हैं, तो मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यदि आप मनोनीत हैं, तो नहीं बन सकते।

बिहार में फिलहाल अशोक चौधरी और मुकेश सहनी ऐसे मंत्री थे जो विधानमंडल के सदस्य नहीं थे। इनमें मुकेश सहनी ने शुक्रवार को ही विधान परिषद की सदस्यता की शपथ ली है। वे विनोद नारायण झा के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर निर्विरोध चुनाव जीत कर सदन में पहुंचे हैं। इसलिए उनके मंत्री पद पर तो असर नहीं पड़ेगा पर अशोक चौधरी का मंत्री पद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।

देश भर की राजनीति में ऐसे तमाम उदाहरण हैं जहां जनता की अदालत से ठुकराये गये राजनेता पिछले दरवाजे से विधानमंडल में दाखिल होते हैं और मंत्री बनते हैं। देश में आठ केंद्र शासित प्रदेश के अलावा 28 राज्य हैं। इन 28 में से पांच राज्यों में विधानसभा और विधान परिषद हैं। इन दोनों सदनों को मिलाकर विधानमंडल कहा जाता है। जिन राज्यों में विधान परिषद हैं उनमें बिहार के अलावा  कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैं।

विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से कला, संगीत, विज्ञान, खेल अथवा ऐसे ही किसी खास क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वालों को ही मनोनीत करने का प्रावधान है। पर, ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब केवल उपकृत करने के लिए सदस्य मनोनीत किये जाते रहे हैं। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। बाद में इस्तीफा देकर वे जदयू में शामिल हुए और मंत्री भी बने। फिलहाल अशोक चौधरी शिक्षा के अलावा, भवन निर्माण, समाज कल्याण, विज्ञान एवं प्रावैधिकी और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं।

Chaudhary got a sigh of teachers and teacher candidates