भारत व नेपाल के प्राइवेट कार्गो ट्रेन ऑपरेटरों को बड़ी छूट, एक दूसरे के रेल नेटवर्क का कर सकेंगे इस्तेमाल

भारत-नेपाल रेल सेवा समझौता के 17 वर्ष के बाद किये गए 51 संसोधन

इस समझौते से भारत को कम, नेपाल को होगा ज्यादा लाभ

दोनों देशों के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में संशोधन पर लगी मुहर

जोगनी बॉर्डर से राजेश शर्मा की रिपोर्ट

Voice4bihar news. भारत व नेपाल के बीच रेल संपर्क को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को 17 वर्ष के बाद नए समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस समझौते के तहत दोनों देशों के सभी प्राइवेट कार्गो ट्रेन ऑपरेटर अब एक-दूसरे के रेल नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकेंगे। अभी तक इसका एकाधिकार सिर्फ सरकारी कंपनी कोनकोर ही करती थी। समझौते के तहत दोनों देश किसी तीसरे देश में माल के निर्यात या आयात के लिए भी एक-दूसरे के रेल नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकेंगे।

भारतीय बंदरगाहों से अपना माल नेपाल ले जा सकेगा नेपाल

नेपाल के निर्यातक प्राइवेट ट्रेन के जरिये अपना माल भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचा सकेंगे। भारत और नेपाल के बीच रेल संपर्क समझौता 2004 में हुआ था। लेकिन उसके बाद कई मौकों पर इसमें संशोधन होता रहा है। समझौते में हर पांच वर्ष में समीक्षा का प्रविधान है जिससे कि उसमें आवश्यकता के अनुसार बदलाव किए जा सके शुक्रवार को हुए समझौते से दोनों देशों के रेल नेटवर्क के विकास में मदद मिलेगी और उसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी भी होगी।

भारत ने “पड़ोसी प्रथम” की नीति को धरातल पर उतारा

यह समझौता भारत की पड़ोसी प्रथम की नीति के तहत क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने की कोशिशों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नेपाल स्थित भारतीय दूतावास ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि दोनों देशों की सरकारों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुई बैठक में भारत-नेपाल रेल सेवा समझौता के लिए हस्ताक्षर किए हैं। बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व रेल मंत्रालय के सदस्य (परिचालन एवं व्यवसाय विकास) संजय कुमार मोहंती ने किया।

क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा यह समझौता

आधिकारिक बयान में बताया गया है कि‍ इस समझौते के तहत निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र के कंटेनर रेल, वाहन ढ़ोने वाली ट्रेनों, विशेष माल गाड़ि‍यों को भारत और नेपाल में रेल के नेटवर्क का इस्तेमाल करने की छूट होगी। यही नहीं नेपाल रेलवे कंपनी के वैगनों को भारतीय बंदरगाहों पर सामान को लाने ले जाने के लिए भारतीय रेल के नेटवर्क की सहूलियत होगी। इस करार को क्षेत्रीय रेल संपर्क बढ़ाने के भारत के प्रयासों में मील का पत्थर बताया जा रहा है।

वर्ष 2009 से ही नियमों में संसोधन की मांग कर रहा था नेपाल

नेपाल के द्वारा 2009 से ही रेलसेवा के समझौते में संशोधन करने का प्रयास कर रहा था। जिसके बाद 12 वर्ष के बाद निरन्तर वार्ता के बाद रेलसेवा समझौता का संसोधन सम्भव हुआ है। इस समझौते के कार्यक्रम में भारत के लिए नेपाल के राजदूत नीलाम्बर आचार्य, भारतीय रेलवे बोर्ड के सदस्य संजय कुमार मोहन्ती व नेपाल के लिए भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा सहित अन्य की सहभागिता थी।  हालांकि भारत नेपाल के बीच हुए रेल सेवा समझौता संसोधन होने के साथ नेपाल अब अपनी ट्रेन का कोलकाता तक दोतरफी संचालन कर सकेगा लेकिन रेल कम्पनी सरकारी होगी

Can use each other's rail networkभारत व नेपाल के प्राइवेट कार्गो ट्रेन ऑपरेटर