स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, पटना में मरणासन्न डॉक्टर का कर दिया मधेपुरा ट्रांसफर

कोरोना संक्रमण के बाद कई बीमारियों से जूझ रहे हैं डॉक्टर अरुण कुमार

पटना के कई डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा इलाज, विस्तर से उठना भी मुश्किल

पटना (voice4bihar desk)। पिछले दिनों एक दिवंगत मेडिकल ऑफिसर को शेखपुरा जिले का सिविल सर्जन नियुक्त करने वाले बिहार के स्वास्थ्य महकमे की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस बार मल्टीपल बीमारी के कारण मौत से जूझ रहे एक उम्रदराज डॉक्टर की रेगुलर पोस्टिंग (पदस्थापना) कर स्वास्थ्य महकमे ने अपनी किरकिरी कराई है। यह मामला पटना स्थित स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय अपर निदेशक कार्यालय में सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के रुप में तैनात डॉ. अरुण कुमार से जुड़ा है।

मिली जानकारी के अनुसार पटना में तैनात डॉ. अरुण कुमार को वर्ष 2020 में मधेपुरा स्थित जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (JKTMCH) में प्रतिनियुक्त (Deputed) किया गया था। कोरोना काल की पहली लहर में डॉ. अरुण कुमार ने यहां पर अपनी सेवाएं दी, लेकिन कोरानो की दूसरी लहर के दौरान वे पटना में कोरोना से संक्रमित हो गए। लगभग 63 वर्ष की अवस्था में भी कोरोना को हराने का जज्बा रखने वाले डॉ. अरुण कुमार को कोविड नेगेटिव होने पर कई बीमारियों ने घेर लिया।

पहले से थी किडनी की बीमारी, कोरोना संक्रमण के बाद मल्टीपल डिजिज ने घेरा

किडनी की बीमारी से पहले से झेल रहे डॉ. अरुण कुमार को हृदय की बीमारी ने गिरफ्त में ले लिया। इस बीच डॉ. अरुण का स्वास्थ्य लगातार गिरता गया। वर्तमान हालत यह है कि पटना के कई डॉक्टरों की निगरानी में रहते हुए विस्तर पर पड़े हुए हैं। चलने-फिरने की बात तो दूर खुद से विस्तर पर बैठने में भी अक्षम हो गए हैं। ऐसी हालत में JKTMCH मधेपुरा जाकर नियमित सेवाएं देने की बात सोच भी नहीं सकते। फिलहाल वे मेडिकल लीव पर पटना में हैं और जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

डेपुटेशन खत्म कर रेगुलर पोस्टिंग की गयी

स्वास्थ्य महकमे को लंबे समय तक सेवाएं देने वाले डॉ. अरुण कुमार को जब स्वास्थ्य कारणों से पटना में रहने की विवशता है, तब ऐसे समय में डेपुटेशन खत्म कर रेगुलर पोस्टिंग से वे आहत हैं। बहरहाल देखना होगा कि चिंताजनक स्वास्थ्य व मानवीय आधार पर डॉ. अरुण को स्वास्थ्य विभाग की ओर से रियायत मिलती है, अथवा नहीं।

रोहतास में मृत डॉक्टर को बनाया गया था शेखपुरा का सिविल सर्जन

गौरतलब है कि इसी वर्ष 9 मार्च को जारी तबादले के नोटिफिकेशन में स्वास्थ्य विभाग ने 12 जिलों में नये सिविल सर्जनों की तैनाती की थी। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में तैनात विभिन्न स्तर के चिकित्सा पदाधिकारियों को सिविल सर्जन बनाया गया था। इनमें रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर चिकित्सा पदाधिकारी तैनात रहे डॉ. राम नारायण राम को शेखपुरा का सिविल सर्जन बनाया गया था।

खास बात है कि डॉ. राम की मृत्यु करीब एक माह पूर्व सात फरवरी को हो चुकी थी। आरा निवासी डॉ. राम की अंत्येष्टि सहित सारे विधि विधान संपन्न हो चुके थे। बाद में मामला सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग ने नोटिफिकेशन में संशोधन करते हुए अपनी गलती स्वीकार की थी।

यह भी देखें : स्वास्थ्य विभाग के कामकाज का निराला अंदाज आया सामने

big-negligence-of-health-departmentMadhepura transfer of dying doctor