पर्यावरण के लिए गंभीर संकट पैदा कर रहे बालू खनन में लगे ठेकेदार

NGT के तय मानकों का नहीं हो रहा पालन, सरकार की नियमावली की परवाह नहीं
  • बालू खनन के तय मानकों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां
  • इनवायरमेंटल क्लीयरेंस एरिया के बाहर हो रहा उत्खनन
  • भोजपुर के फतेहपुर बालू घाट पर अवैध उत्खनन के खिलाफ आला अफसरों से शिकायत

voice4bihar desk. राज्य में लाल बालू का काला खेल कोई नयी बात नहीं है। बालू खनन से लेकर उपयोग में लाये जाने के बीच कई स्तरों पर गोरखधंधा जारी है, लेकिन इस खेल में यदि प्राकृतिक संपदा का मनमाना दोहन होने लगे तो आने वाली नस्लों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है भोजपुर जिले के सहार अंचल अंतर्गत सोन नदी का, जहां बालू खनन के लिए तय मानकों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।

भोजपुर जिले के सहार अंचल अंतर्गत फतेहपुर बालूघाट के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि यहां इनवायरमेंटल क्लीयरेंस यानि EC एरिया से बाहर बालू का उत्खनन किया जा रहा है। साथ ही SEIAA / DEIAA की ओर से निर्गत पर्यावर्णीय स्वीकृति की शर्तों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। इससे न सिर्फ सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व की चपत लग रही है बल्कि पर्यावरण के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।

बालू खनन में मानकों की अनदेखी।

क्या कहता है बालू उत्खनन का नियम
दरअसल सहार अंचल के अन्तर्गत फतेहपुर बालूघाट से EC एरिया से बाहर सोन बालू का मनमाने तरीके से खनन किया जा रहा है। साथ ही SEIAA / DEIAA द्वारा निर्गत पर्यावर्णीय स्वीकृति की शर्त की कंडिका संख्या-3 , 18 एवं 25 का उल्लंघन हो रहा है। शर्त में कहा गया है कि पानी वाले सोता से बालू का खनन नहीं करना है जबकि फतेहपुर बालूघाट में पानी से खनन किए जाने का नजारा खुलेआम दिख रहा है । लोगों का कहना है कि बालू खनन के लिए तय गहराई तीन मीटर की बजाय 10-12 मीटर की गहराई तक बालू का उठाव किया जा रहा है। इससे भविष्य में गंभीर पर्यावरणीय संकट का अंदेशा है।

इस संबंध में स्थानीय लोगों ने अनुमंडल पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी भोजपुर से गुहार लगा चुके हैं। साथ ही खान एवं भूतत्व विभाग भोजपुर के सहायक निदेशक व विभाग के प्रधान सचिव को दर्जनों ग्रामीणों के हस्ताक्षर वाला पत्र भेजा जा चुका है। शिकायतकर्ताओं ने इस बालूघाट पर हो रहे नियमों के उल्लंघन की जाँच कराकर नियमानुसार कार्रवाई की गुहार लगाई है। शिकायत के करीब 20 दिन बाद भी इस मामले में आवश्यक कार्रवाई नहीं होती दिख रही।

बिहार खनिज नियमावली, 2019 का उल्लंघन
इस पत्र में पर्यावरणीय शर्तों , बिहार खनिज ( समानुदान , अवैध खनन , परिवहन एवं भण्डारण ) निवारण नियमावली , 2019 के नियमों तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( NGT) के नियमों के उल्लंघन के बारे में अवगत कराया गया है । बीते 11 जनवरी को दिये गये आवेदन के बावजूद अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है । दरअसल फतेहपुर बालूघाट से SEIAA / DEIAA द्वारा निर्गत फतेहपुर बालूघाट के EC (environmental clearance ) में वर्णित एरिया ( Co-ordinate ) से बाहर बालू का अवैध उत्खनन कर प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों पर बालू का बिक्री किया जा रहा है । साथ ही साथ उक्त बालूघाट पर EC का शर्त 3,18 एवं 25 का धज्जियां उड़ाया जा रहा है जो नीचे दिए गए Co – ordinate सहित फोटो से स्पष्ट है ।

पानी की धारा से निकाला जा रहा सोन का बालू।

बालू के खेल में बड़े माफिया भी शामिल
उल्लेखनीय है कि बिल्डिंग मेटेरियल के रुप में कंक्रीट बनाने में इस्तेमाल होने वाला सोन बालू लंबे समय से बालू माफियाओं के लिए दुधारु गाय साबित होता आया है। बीते कई वर्षों से इसके अनियमित दोहन की शिकायतें आने पर NGT ने कड़ा रूख अपनाया तो राज्य सरकार ने भी इस पर सख्ती दिखाई। कई नियम बनाए गए और प्रयोग में लाये गए, लेकिन लाल बालू का काला खेल जारी रहा। इस संबंध में राज्य सरकार ने बिहार खनिज ( समानुदान , अवैध खनन , परिवहन एवं भण्डारण ) निवारण नियमावली , 2019 बनाई, जिसके तहत बालू खनन के मानक तय किये गए। NGT ने भी पर्यावरण सुरक्षा को लेकर नियम बनाए लेकिन इसका अनुपालन कई जगह नहीं हो रहा। अब देखना है कि फतेहपुर बालू घाट के मसले पर आला अधिकारी क्या रूख अपनाते हैं।

Contractors engaged in sand miningmaking forestry for the environment