वेब जर्नलिस्ट उमेश पांडेय के पक्ष में उतरा आशियान इंटरनेशन जर्नलिस्ट काउंसिल

देश के दो राष्ट्रीय पत्रकार संगठनों ने पहले ही दर्ज करा दिया है विरोध

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजा पत्र, भाजपा नेता की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द कराएं

पटना (voice4bihar desk)। बक्सर के सांसद व केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को खबर के जरिये कठघरे में खड़ा करने वाले वेब जर्नलिस्ट उमेश पांडेय के पक्ष में अब ‘आशियान इंटरनेशन जर्नलिस्ट काउंसिल’ (AIJC) भी सामने आया है। संगठन ने भाजपा नेता परशुराम चतुर्वेदी की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है। इसके पहले देश के दो बड़े पत्रकार संगठन ‘श्रमजीवी पत्रकार यूनियन’ एवं ‘वेब जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (WJIA) ने भी विरोध जता दिया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रेषित पत्र में “आशियान इंटरनेशनल जर्नलिस्ट काउंसिल” ने कहा है बक्सर में ईटीवी भारत के संवाददाता पर भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य की ओर से दर्ज कराई गयी FIR प्रेस की स्वन्त्रता का हनन है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन सत्य समाचार सम्प्रेषण पर ही एफआईआर होना प्रेस स्वतंत्रता का हनन कहा जाएगा।

AIJC के निदेशक राजेश शर्मा व शशांक राज ने कहा है कि भारत के पत्रकार बिना किसी संकोच के सत्य लिख सकें, इसके लिए जरुरी है कि बक्सर के एम्बुलेंस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। इस प्रकरण में दोषी संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए पत्रकार उमेश पांडेय पर दर्ज कराई गयी एफआईआर को तत्काल रद्द करने का निर्देश दिया जाए।

क्या है पूरा मामला

दरअसल विगत बीते दिनों ईटीवी भारत ने बक्सर में एंबुलेंस प्रकरण पर खबर लिखी थी। ईटीवी भारत के उमेश पांडेय ने 14 मई, 15 मई, 16 मई, 19 मई, 22 मई व 24 मई 2021 को सभी सबूतों के आधार पर खबर में स्थानीय सांसद कठघरे में खड़ा किया था। साक्ष्यों के आधार पर बताया गया था कि कैसे 5 पुराने एम्बुलेंस पर नए स्टिकर लगाकर एक बार नहीं चार बार उद्घाटन किया था। सबसे पहले इस एम्बुलेंस का सदर अस्पताल बक्सर में उदघाट्न हुआ था। दूसरी बार किला मैदान बक्सर में और तीसरी बार रामगढ़ उद्घाटन हुआ। चौथी बार बक्सर कलेक्ट्रेट के सभागर से 4 एम्बुलेंस को विभिन्न क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया था।

ईटीवी के पत्रकार ने लिखी थी यह खबर

“एंबुलेंस विवाद मामले में एक नया मोड़ तब आया जब पता चला कि चार बार उद्धाटन हुए एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है। बक्सर के जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक ने कहा- ‘बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में ही रोक लगा दी है। ‘ इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जिला परिवहन पदाधिकारी से पूछा कि जब इस गाड़ी से कोई दुर्घटना होगी, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। इस पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले धनुष फाउंडेशन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा। उसके बाद उसके बयान के आधार पर अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी। सड़क पर वह गाड़ी दिखेगी तो उसे जब्त भी किया जाएगा।

इस खबर के चलने के दो दिन बाद ही 24 मई 2021 को बक्सर के जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज रजक अपने बयान से पलट गए। उन्होंने कहा कि ”फिलहाल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर में उस तरह का प्रोविजन नहीं है। गाड़ियां अभी भी चल रही हैं। स्वास्थ्य विभाग स्तर पर बात कर रहे हैं। बात करने के बाद दिशा-निर्देश के अनुसार काम किया जाएगा।”

खबर प्रकाशन के बाद बौखलाये कई नेता, पूर्व प्रत्याशी ने किया केस

इस खबर के प्रकाशन के बाद पहले तो भाजपा के कई नेताओं ने विभिन्न समाचार पत्रों में बयान जारी कर सफाई दी और आखिररकार बक्सर सदर से विधानसभा के लिए प्रत्याशी रह चुके परशुराम चतुर्वेदी ने बक्सर नगर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। इसमें सोशल मीडिया के पत्रकार पर धमकाने, मानसिक प्रताड़ना देने, राष्ट्रीय आपदा कोरोना के दौरान सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने एवं जनता को उद्वेलित करने, आपसी तनाव पैदा करने एवं ब्लैकमेलिंग करने का आरोप लगाया। साथ ही केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे की छवि धूमिल करने की बात कही गयी है। इस आधार पर आईपीसी की धारा 500 / 506 / 200 / -420 / 32 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

प्रमुख विपक्षी दल राजद ने की निंदा तो सत्ता में शामिल हम ने भी किया विरोध

बक्सर सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को एंबुलेंस प्रकरण में कठघरे में खड़ा किये जाने पर बिहार की राजनीति गरमा गई। पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज करने के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बयान जारी किया तो अब सत्ता पक्ष के नेता खुलकर सामने आ गए। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने बिना नाम लिये अश्विनी चौबे पर करारा वार किया है। मांझी ने ट्वीट कर कहा कि “पत्रकार उमेश पांडेय प्राथमिकी मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। पत्रकार ही हैं जो निःस्वार्थ भावना से हमारी कमियों को हमसे रू-ब-रू करवाते हैं उनके उपर इस तरह की कार्रवाई ठीक नहीं।”

पत्रकार संगठनों ने की एफआईआर की भर्त्सना

श्रमजीवी पत्रकार के मृत्युंजय मानी ने फेसबुक वॉल पर लिखा- “पत्रकार पर दर्ज प्राथमिकी वापस हो। बक्सर में ई-टीवी भारत के रिपोर्टर उमेश पांडेय उर्फ बंटी पांडेय पर दर्ज प्राथमिकी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल हस्तक्षेप कर वापस कराएं। गलत रिपोर्ट थी तो उचित फोरम पर उठाया जाना चाहिए था। सीधे रिपोर्टर पर अपराधिक मामला दर्ज कराना उचित प्रतित नहीं हो रहा है।”

दूसरी ओर वेब जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया WJAI ने इसे पीड़क कार्रवाई माना है। WJAI की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल, महासचिव डॉ. अमित रंजन और कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश अश्क़ ने एक बयान जारी कर कहा कि पत्रकार पर लगाए गए आरोप पहली नजर में बदले की कार्रवाई दिख रहे हैं। इसलिए कि रिपोर्टर ने सीरीज में एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ खबरें लिखीं, लेकिन मंत्री की ओर से इसका खंडन नहीं किया गया और भाजपा नेता द्वारा उल्टे सीधे कई गंभीर आरोप लगाते हुए पत्रकार पर मामला दर्ज करा दिया गया।

AIJC landed in favor of web journalist Umesh Pandey